Friday, 18 October 2013

Punamchand Bishnoi Award 2012-13.........................by:RK BISHNOI

जहूर खां मेहर को पूनमचन्द विश्नोई
राजस्थानी समग्र पुरस्कार मलेगा।
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राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं
संस्कृति अकादमी, बीकानेर के अध्यक्ष, श्याम
महर्षि ने वर्ष २०१३-१४ का पूनमचन्द
विश्नोई राजस्थानी समग्र पुरस्कार
निर्णायको की संस्तुतियों के आधार पर प्रो.
जहूर खां मेहर को घोषित किया। उल्लेखनीय
है कि यह पुरस्कार वर्ष २०१३-१४ से
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं
संस्कृति अकादमी, बीकानेर के संस्थापक
अध्यक्ष श्री पूनमचन्द विश्नोई की स्मृति में
उनके नाम से प्रारम्भ किया गया है। इस
पुरस्कार की राशि रु. १,००,०००/- है। यह
पुरस्कार प्रतिवर्ष राजस्थानी भाषा,
साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में
राजस्थानी साहित्यकार को उनके गत २०
वर्षो से अधिक समग्र साहित्यिक अवदान हेतु
दिया जाता है।
पूनमचन्द विश्नोई राजस्थानी समग्र
पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव जोधपुर में
२० जनवरी, १९४१ को जन्में प्रो. जहूर
खां मेहर को उनके राजस्थानी भाषा,
इतिहास, संस्कृति के लेखन में सतत् अवदान के
लिए मिला है। आप जे.एन.वी. विश्वविद्यालय,
जोधपुर के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष
रहे हैं। आपकी चर्चित पुस्तकें जिनमें १.
राजस्थानी संस्कृति रा चितराम १९८१, २.
धर मर्जला धर कोसा १९८४, ३. जयमल
मेडतिया, ४. अर्जुन आळी आंख, ५.
सांस्कृति ऐतिहासिक राजस्थान, ६.
लक्ष्मी कुमार चूडावत ग्रन्थावली १९९४,
७. आजादी आन्दोलन अर राजस्थान १९९७,
८. टाळवा निबंध १९८६, ९. ऊजळ पख
१९९३, १०.
चेतावनी रा चूगटिया (राजस्थानी,
सम्पादित २००९), ११.
अमीना (राजस्थानी, अनुदित २०११) है।
आपकी इन पुस्तकों सहित २४ से अधिक पुस्तकें
रचित है। प्रो. जहूर खां मेहर को साहित्यिक
अवदान हेतु विभिन्न पुरस्कार एवं सम्मान
मिले है। जिनमें १. महेन्द्र
जालोदिया पुरस्कार १९८१, २. सर्वोत्तम
लेखन पुरस्कार १९८२, ३. बाणभट्ट*सम्मान
१९९२, ४. महाराणा कुम्भा पुरस्कार
१९९२, ५. आगीवाण सम्मान १९९८, ६.
विशिष्ट राजस्थानी साहित्यकार सम्मान
२००३, ७. मारवाड रतन सम्मान २००४,
८. सांस्कृति विरासत रा समवाहक सम्मान
२०११ हैं।
पूनम चन्द विश्नोई राजस्थानी समग्र
पुरस्कार के निर्णायक मण्डल में डॉ. गोविन्द
शंकर शर्मा (जयपुर), डॉ. ज्योतिपूंज
(उदयपुर), प्रो. सोनाराम विश्नोई
(जोधपुर), डॉ. किशन लाल विश्नोई
(बीकानेर), श्री दीनदयाल ओझा (जैसलमेर),
डॉ. रामप्रसाद दाधीच (जोधपुर), डॉ. देव
कोठारी (उदयपुर), श्री सत्यनारायण
इंदौरिया (रतनगढ), प्रो. अम्बादान
रोहडया (राजकोट),
श्री औंकारश्री (उदयपुर), एवं
श्री अम्बिकादत्त (कोटा) थे।

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